लेखनी कहानी -07-May-2022मौसम की मार
आज सूरज बहुत दुःखी था क्यौकि उसकी सारी खेती घर आने से पहले ही ओलौ की बरसात से समाप्त होगयी थी। आज उसके पास बच्चौ के खाने के लिए भी एक दाना अनाज का नही बचा था।
सूरज एक छोटा सा किसान था उसके पास थोडी़ सी जमीन स्वयं की थी । और कुछ जमीन वह ठेके पर लेकर करता था। उसके परिवार में कुल छः लोग थे।
दो उसके बूढे़ माँ बाप व दो स्वयं पति पत्नी और एक बेटा व एक बेटी थी। बेटा बडा़ था जो पाँचवी में पढ़ता था बेटी ने अभी स्कूल जाना शुरू किया था।
सूरज की पत्नी सरोज भी पति के साथ घर के काम के बाद खेती के काम में सहयोग करती थी। पत्नी अपने सास ससुर की सेवा का भी ध्यान रखती थी। पूरा परिवार खुश था।
सूरज खेती मे खाद बीज के लिए गाँव के सेठ व साहूकार से उधार लेता था। जब फसल तैयार होजाती थी तब वह अपनी पैदावार बे़चकर कर्जा चुकता कर देता था।
सेठ व साहूकार भी जानते थे कि फसल पर ही उनको पैसा मिलेगा इस लिए वह बीच में कभी भी टोका टाकी नहीं करते थे।
इसी तरह उसके बापू काम करते आरहे थे इसी तरह सूरज करता आरहा था। आजतक कभी कोई परेशानी नहीं आई थी। परन्तु इसबार उसकी फसल ओलौ की बरसात ने समाप्य करदी थी।
सूरज को रात को नींल नहीं आरही थी क्यौकि आज मौसम बहुत
खराब था। बार बिजली जोर जोर से चमक रही थी। सूरज की आँ खौ से नींद गायब हो चुकी थी।
उसे चिन्ता सतारही थी क्यौकि उसकी सरसौ व गेहूँ की फसल पकी हुई तैयार खडी़ थी। दो या तीन दिन में कटजानी थी। सूरज ईश्वर से यही प्रार्थना कर रहा था कि हम किसानौ की लाज आपके ही हाथ में है हे ईश्वर हम पर दया करना।
सूरज कीआँखौ में जैसे ही नींद आई और वह सपना देखने लगा कि रात को ओलौ की बरसात ने पूरी फसल बरबाद करदी है अब उसके पास खाने को अनाज का दाना भी नहीं है।
सूरज की जैसे ही आँख खुली और उसने बाहर देखा तो उसका आँगन सफेद सफेद बर्फ से ढका हुआ था। सूरज को विश्वास ही नहीं आरहा था वह अभी भी यही सोचरहा था कि यह सपना है।
परन्तु हम सच्चाई से कब तक भाग सकते हैं। अब सूरज की आँखौ से अन्धेरा हट गया था वह अपनी पत्नी के साथ जब अपने खेतौ पर पहुँचा तब वह वहाँ का नजारा देखकर सिर पकड़कर बैठ गयाऔर उसकी आँखौ मे से आँसुऔ की धारा बहने लगी।
उसकी पत्नी ने सूरज को समझाया कि यह आपत्ति केवल हम पर ही नही आई है यह तो सभी किसानौ पर आई है। जो हमारी तकदीर में लिखा होता है हमें उतना ही मिलता है इस तरह चिन्ता करने से तो आप बीमार होजाओगे।
यह तो मौसम की मार है हमें सहन करनी होगी। इससे हम दूर नही भाग सकते है। परन्तु सूरज से खेतौ का हाल देखा ही नही जारहा था। वह अपनी पत्नी के साथ घर बापिस आगया ।
आज सूरज के घर में चूल्हा भी नहीं जला था बच्चे भी भूखे थे तब उसकी माँ ने उसे समझाकर खाना बनबाया और बच्चौ को खिलाया।
इसके बाद सूरज ने सेठ व साहूकार को अपनी परेशानी समझाई जिसे वह समझगये और उसे साहस बंधाया कि वह उससे इसकी ब्याज नही लेंगे। और उसे आगे के लिए खाद बीज का इन्तजाम भी करवायेगे।
इस तरह मौसम की मार छोटे किसान का जीना मुश्किल कर देती है। किसान की तैयार खेती जब तक घर नही आजाती तब तक कुछ नही कहा जा सकता है इसी लिए किसीने कहा भी है:-
तैयार खेती और ब्याने वाली गाय।
जब अपनी मानौ जब मुह लौ जाय।।
Waseem khan
12-May-2022 08:24 AM
Nice
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Shnaya
09-May-2022 06:24 PM
Nice 👍🏼
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Naresh Sharma "Pachauri"
07-May-2022 09:26 PM
सभी साथियौ को बहुत बहुत धन्यवादजी
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